April 20, 2024

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परिवार नियोजन का दारोमदार आज भी महिलाओं पर

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सुपौल। परिवार नियोजन का टारगेट महिलाएं ही पूरा कर रही है। पुरूषों के जेहन में बसी भ्रांति आज भी कायम है। जिले में भी यही हाल है। परिवार नियोजन का संपूर्ण दायित्व पुरूषों ने महिलाओं पर ही डाल दिया है। गर्भधारण, प्रसव वेदना तथा बच्चों के पालन पोषण की जिम्मेदारी के बाद अब परिवार नियोजन की जिम्मेदारी भी महिलाएं ही उठा रही हैं। जिले में 2013 से जून 2015 तक यानि तीन साल में 28 हजार 217 महिलाओं ने नसबंदी कराया, जबकि 4 सौ 98 पुरूष ही नसबंदी कराने में रूचि दिखाए।

2013-14 में जहां 13 हजार 5 सौ 56 महिला की अपेक्षा 53 पूरूष, 2014-15 में 14 हजार 1 सौ 91 महिला की अपेक्षा 3 सौ 74 पुरूष, जबकि 2015-16 के जून माह तक में 4 सौ 70 महिला की अपेक्षा 71 पुरूषों ने नसबंदी आपरेशन कराया। आकड़ों से स्पष्ट हो रहा है कि परिवार नियोजन की जिम्मेदारी महिलाओं पर ही निर्भर है। डाक्टर भी पुरूषों को आगे आने प्रेरित करते हैं। लेकिन संख्या बढ़ नहीं रही।

जहा शिक्षित ज्यादा वहीं जागरूकता कम

परिवार नियोजन को ले शिक्षित क्षेत्र में ही अनदेखी ज्यादा है। यहा जागरूक लोग ही नसबंदी में पीछे हैं। शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में तीन साल में में चार साल में मात्र 4 सौ 98 पुरूषों ने ही नसबंदी कराया। जबकि महिला 28 हजार 2 सौ 17 ने नसबंदी कराया। डाक्टरों के अनुसार सुपौल सहित अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में पुरूष वर्ग नसबंदी कराने में सामने आए हैं।

नपुंसकता की भ्रांति बन रही है कारण

नसबंदी कराने के पीछे आज भी पुरुषों में यह भ्रांति है कि नसबंदी कराने से में नपुंसकता जाती है। साथ ही शारीरिक रूप से कमजोर हो जाता है। वर्षो से पुरूषों के मन में बैठी इस भ्राति को निकाल नहीं पा रहा। पुरूष नसबंदी में रूचि नहीं दिखा रहे।

जनसंख्या नियंत्रण में अशिक्षा आ रही आड़े

शिक्षा के अभाव में लोग जनसंख्या नियंत्रण का महत्व नहीं समझा पा रहे हैं। आज भी बेटे और बेटियों में फर्क नहीं रहने के बावजूद बेटे की चाहत में जनसंख्या बढ़ती जा रही है। तमाम परिवार नियोजन के उपाय उपलब्ध रहते हुए अशिक्षित वर्ग इसका समुचित प्रयोग नहीं कर पाते। बंध्याकरण के नाम पर लोग आज भी कई तरह की भ्रांतियां पाले हुए हैं। लोगों का मानना है कि ऑपरेशन के बाद शारीरिक कमजोरी आ जाती है। जबकि चिकित्सकों का कहना है कि ऐसा कुछ नहीं होता। आज भी लोगों की धारणा है कि जितने अधिक बेटे होंगे वो उतने ही संबल होंगे। इस कारण भी जनसंख्या नियंत्रण में बाधा उत्पन्न हो रही है। अधिक बच्चे होने के परिणामों से वाकिफ होने के बावजूद भी लोग इस गलत मानसिकता के शिकार हो रहे हैं।

Courtesy: Jagran

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