फेसबुक पर तय हो रहा बिहार के सीएम का चेहरा
1 min readपटना । पिछले साल आया चाय का एक विज्ञापन तो याद होगा… नेताजी वोट मांगने पहुंचते हैं तो एक युवक उनके अनुभव और पांच साल की योजना पर जमकर सवाल दागता है।
बेहतरीन नेता के चुनाव को प्रेरित करता चाय का यह विज्ञापन काफी पसंद किया गया था। पंचलाइन थी ‘जागो रे जागो रे जागो रे…।’ ठीक इसी विज्ञापन की तर्ज पर बिहार का मुख्यमंत्री कौन होगा, उसकी तलाश सोशल मीडिया पर भी चल रही है।
राजनीतिक पार्टियां भले ही किसी खास चेहरे को प्रोजेक्ट कर ‘महासमर’ में उतरने तैयारी में हों, लेकिन सोशल मीडिया पर ऐसे सभी चेहरों की अच्छाई-बुराई का जमकर आकलन किया जा रहा है। प्रदेश के विकास में कौन सा चेहरा अहम रोल अदा करेगा, इस पर खूब बहस हो रही है।
बौद्धिक क्षमता, नेतृत्व कौशल, राजनीतिक करियर, व्यक्तिगत छवि के साथ ही केंद्र सरकार के साथ तालमेल मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के चयन का प्रमुख पैमाना है।
राजद, जदयू, बीजेपी, लोजपा, हम, रालोसपा सहित अन्य सभी पार्टियों से मुख्यमंत्री का चेहरा कौन है, सोशल मीडिया के यूजर्स इससे ज्यादा इत्तेफाक नहीं रख रहे। सोशल साइट पर पार्टी नहीं, नेताओं के नाम पर बहस जारी है। आधा दर्जन नेता जो मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल हैं, उनके अब तक के कार्यों का आकलन चल रहा है। कुछ नेताओं का बिहार में विकास के योगदान का ग्राफ भले ही नीचे हो, लेकिन राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर राज्य का सम्मान बढ़ाने वाले कार्य करने की वजह से अहमियत बरकरार है।
फेसबुक यूजर धनंजय पांडेय, विक्रम कुमार, उदय झा, संजय कुमार आदि बिहार में विकास के लिए ऐसे मुख्यमंत्री को चुनना चाहते हैं, जिसके संबंध केंद्र सरकार के साथ भी अच्छे हों। सुशील मोदी और शाहनवाज हुसैन को लेकर खूब तकरार चल रही है।
सुशील मोदी को पिछले अनुभव और प्रदेश में कद्दावर नेता की छवि से मजबूती मिल रही है तो शाहनवाज हुसैन की सेक्युलर नेता की ब्रांडिंग को परफेक्ट बताया जा रहा है। वहीं कमाल की प्रशासनिक क्षमता और प्रधानमंत्री से घनिष्ठता के चलते रविशंकर प्रसाद फेसबुक यूजर्स की नजर में सीएम पद के लिए योग्य उम्मीदवार कहे जा रहे हैं। पुराने कैडर, आरएसएस से नजदीकी और भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं के बीच मजबूत पैठ को राधामोहन सिंह की खासियत में शुमार किया जा रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी भले ही फेसबुक पर ज्यादा एक्टिव न हों, लेकिन मुख्यमंत्री पद की रेस में वे भी शामिल हैं। एनडीए गठबंधन में मांझी को दलित चेहरे की खासियत के तौर पर समर्थन मिल रहा है। रालोसपा सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा को भी सीएम उम्मीदवार के रूप में प्रोजेक्ट किया गया है। राजनीतिक करियर और अनुभव पर यूजर्स के बीच अपनी पैठ नहीं बना पा रहे, लेकिन राष्ट्रीय फलक पर अच्छी छवि के चलते मुख्यमंत्री पद की रेस में शामिल हैं।
बात फेसबुक यूजर्स की –
सुशील मोदी ने बिहार की राजनीति को काफी करीब से देखा है। कद्दावर नेता के साथ ही उपमुख्यमंत्री के तौर पर कार्य का बढिय़ा अनुभव है। मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी के साथ न्याय कर सकते हैं।
-मोहम्मद कलीमुल्लाह
दबाव के बावजूद जीतनराम मांझी ने कुछ समय में ही बिहार के लिए बहुत कार्य किया। प्रदेश में दलितों की स्थिति बहुत खराब है। मांझी ही इस दिशा में बेहतर कार्य कर सकते हैं, उन्हें मौका मिलना चाहिए।
-शिवशंकर
शाहनवाज हुसैन युवा हैं, प्रदेश के युवाओं की तकलीफ वे बेहतर समझ सकते हैं। बिहार में रोजगार की स्थिति और अर्थव्यवस्था में सुधार के साथ ही अल्पसंख्यकों को भी वाजिब हक दिलाने में बेहतर रोल अदा कर सकते हैं।
-सतीश झा
नीतीश जी ने दस सालों में इतना भी बेहतर कार्य नहीं किया है, लेकिन प्रदेश की सड़कों की स्थिति में जो सुधार हुआ है, उसे नकारा भी नहीं जा सकता। केंद्र सरकार के साथ संबंधों की कड़वाहट विकास में बाधा बन सकती है।
-अभिषेक पांडेय
Courtesy: Jagran