दुकानों को तोड़ने पर उच्च न्यायालय की रोक
1 min readअररिया। शहरी विकास योजना के तहत नगर परिषद क्षेत्र के सदर अस्पताल के निकट बनाए गए दुकान भवन को तोड़ने के आदेश पर उच्च न्यायालय के द्वारा लगाई गई रोक के बाद सरगर्मी बढ़ गई है। न्यायालय ने आदेश की जानकारी जिला पदाधिकारी समेत नगर परिषद को दे दी है। तीन माह पूर्व ही इसी मामले में न्यायालय ने दुकान भवन तोड़ने का आदेश पारित किया था।
क्या है मामला
शहरी विकास योजना के तहत वर्ष 2007 में नगर परिषद अररिया में दुकान भवन बनाने का निर्णय लिया था। निर्णय के आलोक में सदर अस्पताल परिसर में 35 लाख की लागत से ग्राउन्ड फ्लोर में 35 दुकान भवन का निर्माण कराया गया। तीन साल बाद दोबारा उपरी तल पर 35 दुकान फिर से बनाये गये। जब दुकान भवन आवंटन की बारी आयी तो पीडब्ल्यूडी ने दुकान भवन की जमीन पर दावा ठोक दिया। यह मामला चल ही रहा था कि वार्ड पार्षद प्रतिनिधि परवेज दास ने भी उच्च न्यायालय में नियम विरूद्ध दुकान भवन निर्माण का आरोप लगाते हुए याचिका दायर की। प्रतिनिधि द्वारा दायर किये गये याचिका की सुनवाई पर न्यायालय ने दुकान भवन को तोड़ने का आदेश दे दिया। प्रतिवादी अफसाना प्रवीण ने न्यायालय में दायर याचिका के विरूद्ध अपना पक्ष रखा। पक्ष में बताया गया कि जिस जमीन पर पीडब्ल्यूडी का दावा है वह जमीन पीडब्ल्यूडी का है ही नहीं। विभाग के पास आज भी किसी प्रकार का दस्तावेज उपलब्ध नही है। जमीन जिला परिषद की है। इस मामले की सुनवाई अंचल कार्यालय में भी चल रही है। अंचल कार्यालय से अब तक इस मामले में कोई स्पष्ट निर्देश भी नही दिया है। जब अंचल कार्यालय ने जमीन के हकदार को स्पष्ट अब तक नही किया तो फिर किस आधार पर न्यायालय फैसला ले सकती है।
वहीं मुख्य पार्षद अफसाना प्रवीण ने वर्ष 2007 में नगर पालिका अधिनियम की धारा 101,102,103 के तहत जिला परिषद की जमीन भी नप के अधीन होने की बात कही।
Courtesy: Jagran