नीतीश के मुहावरे बदले लेकिन निशाने नहीं
1 min readपटना: बदली राजनीतिक परिस्थिति में कल के दोस्त अभी दुश्मन और दुश्मन दोस्त बने हुए हैं। विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी और उनके सहयोगी दलों का मुकाबला भाजपा गठबंधन से है।
दोनों गठबंधन कई मुद्दों को लेकर एक दूसरे पर निशाना साध रहे हैं।
लेकिन एक मोर्चा ऐसा है, जहां नीतीश कुमार ने अपनी तीरंदाजी पहले जैसी ही जारी रखी है। वह है बिहार के साथ नाइंसाफी के नाम पर केंद्र सरकार पर हमला। पिछले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भी नीतीश कुमार ने बिहार को उसका वाजिब हक दिलाने के लिए ‘संकल्प यात्रा’ की थी।
वैसे केंद्र सरकार के खिलाफ जारी इस मुहिम में नीतीश कुमार के मुहावरे बदले हैं। खासकर केंद्रीय मंत्रियों को लेकर। उनकी मुहिम में केंद्रीय मंत्री हमेशा निशाने पर रहे हैं। चाहे वह कांग्रेस के हों या अब भाजपा के। 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान जब कांग्रेस के केंद्रीय मंत्रियों ने प्रदेश का दौरा शुरू किया तो नीतीश कुमार ने इन मंत्रियों के दौरे को ‘कारपेट बॉम्बिंग’ की संज्ञा दी थी।
कहा था कि ये मंत्री बिहार आकर कारपेट बॉम्बिंग कर रहे हैं। अब 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जब नरेंद्र मोदी कैबिनेट के मंत्रियों के यहां आने का सिलसिला शुरू हुआ है तो उनपर हमला करने के लिए उन्होंने नया शब्द चुना है। उनके आगमन को अब वे ‘पाराट्रूपिंग’ कह रहे हैं। केंद्र और राज्य के तकरार में केंद्रीय राशि हमेशा फोकस में रही है। नीतीश कुमार का आरोप रहा है कि केंद्र सरकार बिहार को उसका वाजिब हक नहीं दे रही।
जवाब में पहले कांग्रेस और अब भाजपा भी चुप नहीं है। 19 अक्टूबर, 2010 को किशनगंज और मोतिहारी की जनसभा में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा था कि नीतीश सरकार के पास केंद्र सरकार द्वारा आवंटित राशि खर्च करने का समय नहीं है। तत्कालीन प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह इससे ठीक एक दिन पहले 18 अक्टूबर, 2010 को अररिया आए थे। उन्होंने तब कहा था कि केंद्र सरकार की राशि का अगर सही इस्तेमाल हुआ होता तो तस्वीर दूसरी रहती।
अन्य राज्य तरक्की कर रहे हैं जबकि अररिया सहित पूरा बिहार पिछड़ा है। अब भाजपा के मंत्री चाहे वह रविशंकर प्रसाद हों या धर्मेंद्र प्रधान या अन्य, केंद्रीय राशि खर्च नहीं करने का आरोप लगा रहे हैं। भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी का कहना है कि जदयू सरकार अपनी विफलता छुपाने के लिए केंद्र सरकार पर निशाना साध रही है। जवाब में नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद के साथ मिल केंद्र सरकार पर तीखा प्रहार किया। कहा कि मदद के नाम पर केंद्र सरकार झूठ बोल रही है।
(राष्ट्रीय राजमार्ग) एनएच भी नीतीश कुमार के इस अभियान में शुरू से शामिल रहा है। कांग्रेस के कार्यकाल में भी नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार पर एनएच की मरम्मत का पैसा नहीं देने का आरोप लगाया था। बिहार को विशेष दर्जा दिलाने की मुहिम के तहत उन्होंने पटना एवं दिल्ली में रैली कर केंद्र सरकार पर दबाव बनाया था। उनकी पार्टी जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल भी इस सिलसिले में तत्कालीन प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह से मिला था और सवा करोड़ हस्ताक्षरयुक्त एक ज्ञापन उन्हें सौंपा था। केंद्र सरकार ने रघुराम राजन कमेटी का गठन किया, मगर विशेष दर्जा नहीं मिला।
इस मांग को लेकर अब नीतीश कुमार खुद पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले हैं। वैसे कुछ नई मांग भी शामिल हुई हैं। उन्होंने आंध्र प्रदेश की तर्ज पर बिहार को भी विशेष पैकेज देने का अनुरोध किया। साथ ही 14वें वित्त आयोग की सिफारिश के तहत बिहार को होने वाले नुकसान की भरपाई और पिछड़ा क्षेत्र अनुदान कोष (बीआरजीएफ) की कटौती का मुद्दा भी उठाया।
इंदिरा आवास, मनरेगा, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना जैसी केंद्रीय योजनाओं की राशि समय पर नहीं मिलने की शिकायत में अब एक नई बात भी जुड़ गई है, वह इन योजनाओं की राशि में कटौती। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि बिहार के साथ नाइंसाफी की बात उठाकर नीतीश कुमार बिहारियों की फिर एकबार अपने पक्ष में गोलबंदी का प्रयास कर रहे हैं।
Courtesy: Jagran