नीतीश-लालू से पहले खुद से लड़ती बिहार भाजपा
1 min readनई दिल्ली | अभी लग रहा है कि बिहार भाजपा खुद से लड़ रही है। भाजपा के भीतर अगड़ी-पिछड़ी जातियों के नेताओं के बीच में घमासान मचा हुआ है। यानी आगामी विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा खुद ही लड़ रही है।
बिहार भाजपा के एक असरदार नेता ने माना कि नीतीश कुमार के सामने पार्टी अपना मुख्यमंत्री कैंडिडेट खड़ा कर पाने में दिक्कत महसूस कर रही है। अगर किसी अगड़ी जाति के नेता को प्रोजेक्ट किया तो भाजपा की ओबीसी बिरादरी नाराज हो जाएगी। ओबीसी नेता को किया तो अगड़ी जाति के नेता मुंह बना लेंगे। इस स्थिति से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पार्टी नेता अमित शाह वाकिफ है।
अगड़ी जातियों का वोट
बहरहाल, बिहार में भाजपा को यकीन है कि उसे अगड़ी जातियों का तो वोट आगामी विधानसभा चुनावों में भी मिलेगा। हां, चिंता इस बात को लेकर है कि क्या पिछड़ी जातियों के वोट भी उसकी झोली में जाएंगे जबकि नीतीश और लालू इस बार एक साथ हैं।
कौन होगा सीएम कैंडिडेट
बिहार में पहले माना जा रहा था कि सुशील मोदी, नंद किशोऱ यादव और रविशंकर प्रासद में से किसी को भाजपा नेतृत्व मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करेगा। पर अब कहने वाले कह रहे हैं कि कुछ और नेता भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल हो चुके हैं।
अगर अगड़ी जातियों की बात करें तो सीपी ठाकुर, रविशंकर प्रासद, राजीव प्रताप रूढी, राधे मोहन सिंह मुख्यमंत्री पद की दौड़ में हैं। उधर, सुशील कुमार मोदी, प्रेम कुमार और नंद किशोर यादव भी मुख्यमंत्री बनने के ख्वाब देख रहे हैं।
भूमिहार ठाकुर
ठाकुर 80 साल के हो चुके हैं। वे पटना के बड़े डाक्टर भी हैं। वे बार-बार कह रहे हैं कि अगर उन्हें पार्टी मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करे तो वे गर्व महसूस करेंगे। वे भूमिहार हैं।
किसके साथ कायस्थ
ये जाति मंडल दौर के बाद भाजपा के साथ है। रवि शंकर प्रसाद कायस्थ हैं। बिहार में कहा जाता है कि कायस्थ के वोट पूरी तरह से भाजपा को मिलेंगे। उनके संघ के नेताओं से भी बेहतर संबंध हैं।
रूढ़ी राजपूत हैं। बिहार में राजपूत शक्तिशाली जाति है। उन्हें सब बाबू साहब कहते हैं। वे भी संघ के करीबी हैं। बहरहाल, अब देखने वाली बात ये है कि बिहार में भाजपा किस तरह से अपनी आतंरिक कलह को दूर करके विरोधियों से लड़ सकेगी।
Courtesy: One India