बिहार में अकेले चुनाव लड़ेगी बसपा
1 min readलखनऊ। बहुजन समाज पार्टी ने एक बार फिर यूपी के बाहर के राज्यों में अपने दम पर चुनाव लडऩे के फैसले को बिहार में भी दुहराने की घोषणा की है। इसके लिए आज बसपा सुप्रीमों मायावती ने बिहार के नेताओं के साथ बैठक कर चुनावी रणनीति पर चर्चा की।
इस अवसर पर मायावती ने कहा कि बिहार एक पिछड़ा हुआ राज्य है और वहाँ रहने वाले खासकर अधिसंख्य दलितों, अति पिछड़ों व मुस्लिम वर्ग के लोगों की आबादी काफी ज्यादा गरीब हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में सर्वसमाज में से खासकर दलितों, अति पिछड़ों व धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग में से मुस्लिम समाज के लोग अगर एकजुट होकर बी.एस.पी. मूवमेन्ट से जुड़ते हैं तो उनकी राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक स्थिति भी काफी ज्यादा सुधर कर वैसी ही बेहतर हो सकती है जिसकी कल्पना परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने अपने जीते-जी की थी और उसके लिये जीवन भर अथक प्रयास भी किया।
मायावती ने बिहार की ताजा राजनीतिक स्थिति के साथ-साथ बिहार में भाजपा की चुनावी रणनीति व नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल (यू) सरकार के प्रति जनभावना पर विस्तार से विचार-विमर्श किया और भविष्य की चुनावी संभावनाओं के बारे में बातचीत की। उन्होंने बिहार के पार्टी प्रभारियों व जिम्मेवार पदाधिकारियों पर जोर दिया कि बी.एस.पी. सर्वसमाज की पार्टी है और बिहार विधानसभा आमचुनाव हेतु प्रत्याशियों के चयन में इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिये। साथ ही, मूवमेन्ट से जुडे मिशनरी लोगों को टिकट के वितरण में खास ध्यान रखा जाना चाहिये।
सुश्री मायावती ने कहा कि बिहार में बी.एस.पी. मूवमेन्ट की जड़े हैं और बी.एस.पी. के लोग विधायक भी बनते रहे हैं। आगे भी पार्टी को कैडर के आधार पर तैयार करने का प्रयास लगातार जारी रखना है। उन्होंने कहा कि बी.एस.पी. एक राजनीतिक पार्टी के साथ-साथ एक सामाजिक मूवमेन्ट भी है और इसी के मद्देनजर ना केवल पार्टी का जनाधार को आगे बढ़ाना है, बल्कि इस मूवमेन्ट को गति प्रदान करने हेतु अगला विधानसभा आमचुनाव भी पूरी तैयारी व मुस्तैदी के साथ लडऩा है।
रालोद के जिलाध्यक्षों की बैठक में हुई पंचायत चुनावों पर चर्चा
लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के जिलाध्यक्षों की आज यहां हुई बैठक में पंचायत चुनाव लडऩे और संगठन को मजबूत करने पर विचार किया गया। साथ ही अब तक चलाए गए अभियानों की समीक्षा भी की गई। इसके अलावा मण्डलीय कार्यकर्ता सम्मेलनों पर भी विचार किया गया।
राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश मुख्यालय पर प्रदेश अध्यक्ष मुन्ना सिंह चौहान की अध्यक्षता तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष मुंशीराम पाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष इं.संतोष कुमार मिश्रा तथा मध्य उप्र के अध्यक्ष राकेश कुमार सिंह मुन्ना की उपस्थिति में जिलाध्यक्षों की बैठक में जिलाध्यक्षों के साथ महानगर अध्यक्षों, मण्डल अध्यक्षों व अन्य प्रमुख साथियों ने भाग लिया। बैठक में राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी, राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ.मसूद अहमद, राष्ट्रीय सचिव शिवकरन सिंह, राष्ट्रीय सचिव अनिल दुबे भी मुख्य रूप से मौजूद थे।
बैठक में 21 मई से 28 मई तक चलाये गये जन जागरण अभियान की समीक्षा की गयी तथा जनपदों में ब्लाक एवं जिला कार्यकारिणी के साथ प्रकोष्ठों के चयन सम्बन्धी भी चर्चा हुयी। जिलाध्यक्षों द्वारा प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में जिला एवं मण्डल स्तर पर होने वाले आगामी कार्यकर्ता सम्मेलन की रणनीति बनाई गयी तथा आगामी पंचायत चुनाव लडऩे तथा चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल की भूमिका पर प्रकाश डाला गया है। विभिन्न जनपदों से आये हुये जिलाध्यक्षों एवं महानगर अध्यक्षों ने संगठन विस्तार व ऑनलाइन सदस्यता अभियान की तीव्रता के लिए एक दूसरे से सुझाव आमंत्रित किये।
बैठक को सम्बोधित करते हुये राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि वर्तमान समय में लाचार किसानों की दशा बड़ी ही गम्भीर बनी हुयी है जिसकी जिम्मेंदार दैवीय आपदा के साथ वर्तमान उप्र सरकार भी है क्योंकि दोषपूर्ण और पक्षपातपूर्ण मुआवजा नीति के कारण ही किसानों के साथ अन्याय हो रहा है। राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह ने स्वयं कई आपदाग्रस्त जनपदों में जाकर किसानों का दर्द बांटने के लिए सीधे किसानों से संवाद किया है और अब भी जनपदों में मुआवजे की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट का घेराव व प्रदर्शन आदि कार्यक्रम लगातार जारी है।
Courtesy: Patrika