आशा कार्यकर्ताओं की बैठक में आंदोलन की रणनीति
1 min readसुपौल। बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ(गोप गुट) के बैनर तले रविवार को पीडब्लूडी कार्यालय परिसर में आशा कार्यकर्ताओं ने एक बैठक आयोजित की। बैठक को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि जच्चा-बच्चा मृत्यु दर में आई गिरावट में आशा कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका रही है। अस्पताल में प्रसव दर में गुणात्मक वृद्धि हुई है। बावजूद इसके सरकार आशा कार्यकर्ताओं को न्यूनतम पारिश्रमिक व मानदेय देकर भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। कहा कि हमारी ग्यारह सूत्री मांग पर अभी तक सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया है। यहां तक मासिक मानदेय देने की भी घोषणा नहीं की है। बैठक में कर्मचारी महासंघ के नेताओं ने कहा कि जिलाध्यक्ष रविन्द्र कुमार सिंह, जिला सचिव सूर्य नारायण दिनकर तथा संयुक्त सचिव किशोर कुमार पाठक के नेतृत्व में राज्य महासंघ के निर्देश पर 25 जून को समाहरणालय पर प्रदर्शन किया जाएगा जिसमें काफी संख्या में आशा कार्यकर्ता भाग लेगी। बैठक में उषा सिन्हा, नूतन झा, सुजाता कुमारी, नीलम कुमारी, सरिता जायसवाल, सुनीता देवी, कुमकुम कुमारी, कंचन देवी सहित काफी संख्या में आशा कार्यकर्ता उपस्थित थी।
आशा कार्यकत्र्ताओं की 11 सूत्री मांग
1. आशा कार्यकर्ता को सरकारी सेवक घोषित किया जाय।
2. सरकारी सेवा में नियमितकरण होने तक कम से कम 15 हजार रुपये मासिक मानदेय दिया जाय।
3. स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों व अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा आशा के साथ किए जाने वाले अपमानजनक व्यवहार पर रोक लगाई जाय।
4. आशा के लिए यात्रा भत्ता की स्वीकृति दी जाय।
5. कार्यक्षेत्र व अस्पताल में आशा की सुरक्षा की गारंटी व प्रत्येक स्वास्थ्य केन्द्र पर आशा भवन का निर्माण किया जाय।
6. प्रसव टीकाकरण व अन्य मद के लिए टीकाकरण के लिए निर्धारित राशि का भुगतान समय पर हो व व्याप्त भ्रष्टाचार व धांधली पर रोक लगाई जाय।
7. उत्तम क्वालिटी का पोशाक व किट बैग की आपूर्ति की जाय।
8. सभी आशा को नियमित रुप से प्रत्येक माह में बैठक आयोजित की जाय तथा यात्रा भत्ता का भुगतान किया जाय।
9.आशा कार्यकर्ता को क्षेत्र में भ्रमण के लिए दुपहिया प्रदान की जाय।
10. मातृत्व अवकाश व अन्य विशेष अवकाश दिया जाय।
11. स्वास्थ्य बीमा योजना, इपीएफ व इएसआई का लाभ दिया जाय।
Courtesy: Jagran