जमुई में फुटपाथ : ढूंढते रह जाओगे
1 min readजमुई। यहां सड़कों पर सुरक्षित चलना है तो आगे के साथ-साथ पीछे भी देखकर चलना होगा, क्योंकि अनियंत्रित वाहनों का परिचालन सड़क किनारे चलने वाले लोगों को कोई तहजिब नहीं देता है। इस समस्या का सबसे बड़ा कारण यह है कि यहां फुटपाथ नहीं है। सड़कों के किनारे की जमीन या तो दुकानदारों के कब्जे में है या फिर सड़क या फुटपाथ में कोई अंतर ही नहीं है। जमुई में सड़क पर पैदल चलने वालों के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण वृद्ध व लाचार व्यक्ति बाजार तक नहीं आ पाते हैं। शहर के सबसे व्यस्त कचहरी चौक स्थित मुख्यमार्ग पर छोटी-छोटी दुकानें तो हैं परंतु अतिक्रमण का यह आलम है कि पैदल चलना दूभर हो गया है। सड़क के दोनों ओर खाली जगहों पर होटलों के चूल्हे जल रहे हैं तो दूसरी ओर धुआं फेंकने वाले जेनरेटरों को कब्जा है। ऐसे में फुटपाथ का ख्वाब तो बस ख्वाब ही बनकर रह गया है। यही कमोवेश हाल शहर के महिसौड़ी चौक, पुरानी बाजार, महाराजगंज का है। यहां सड़कें तो चौड़ी है पर सिर्फ कागजों पर।
क्या है नियम फुटपाथ के
पीडब्लूडी विभाग के नियमानुसार फुटपाथ की औसत चौड़ाई 1.5 मीटर होनी चाहिए ताकि पैदल चलने वाले राहगीर वाहनों से बचकर पैदल चल कर सकें। वहीं फुटपाथ ही ऊंचाई सड़क से 8-10 इंच ऊंची होनी चाहिए ताकि आमलोगों के साथ-साथ बुजुर्ग लोग भी फुटपाथ पर चढ़ सकें। पर नियमों का क्या करें? यहां तो लाखों की आबादी पर महज तीस मीटर फुटपाथ है जो पान दुकानदारों के साथ-साथ ठेला चालकों के कब्जे में रहता है।
अब उठने लगी है फुटपाथ की मांग
जागरण द्वारा फुटपाथ पर अभियान चलाए जाने के बाद जमुई में भी फुटपाथ बनाए जाने की मांग उठने लगी है। लोगों को अब एहसास होने लगा है कि शहर में फुटपाथ क्यों आवश्यक है। इस बाबत प्रमोद पासवान, शिक्षक रणवीर सिंह, मुरारी सिंह, राहुल कुमार ने बताया कि फुटपाथ बनाने की योजना जिला प्रशासन को शीघ्र शुरू की जानी चाहिए ताकि सुरक्षा के साथ-साथ आमलोगों को सहूलियत मिल सके।
Courtesy: Jagran