मरम्मत के अभाव में दम तोड़ रही सड़कें
1 min readनवादा : जिले में सड़कों का जाल तो बिछा लेकिन आज भी कई सड़कों का निर्माण अधर में लटका है। मरम्मति के अभाव में राजमार्ग संख्या 31 समेत कई पथ अपनी पहचान खो रहे हैं। कई पथों का निर्माण तो आरंभ हुआ लेकिन कार्य की गति मंथर तो गुणवत्ता का अभाव है। ककोलत जलप्रपात तक पहुंचने के लिये आज भी लोगों को पथ का इंतजार है। नगर में बाइपास के अभाव में जाम से जूझना इसकी नियति बन गयी है। बाईपास निर्माण की घोषणा मात्र घोषणा बनकर रह गयी है। फिर भी लोगों का कहना है कि आज नहीं तो कल कुछ अवश्य अच्छा होगा।
फोरलेन पर नहीं शुरु हुआ कार्य
-राजमार्ग संख्या 31 को फोरलेन में बदलने का कार्य अबतक आरंभ नहीं हो सका है। पथ किनारे लगे पेड़ों की कटाई से पथ वीरान हो गये हैं तो भारी वाहनों का दबाव झेल पाने में पथ असमर्थ है। पथों पर बने बडे़-बड़े गड्ढे इसकी बदहाली खुद बया कर रहे हैं। मंझवे-दर्शन पथ की निविदा तो हुई लेकिन अबतक पथ निर्माण कार्य तक आरंभ नहीं हुआ। लिहाजा नरहट-फतेहपुर मार्ग पर चलना जोखिम भरा कार्य है। फतेहपुर-दर्शन पथ का बेहाल है। पथ पर गढ्डों का बनना आरंभ हो गया है। बरेव-गोविन्दपुर पथ निर्माण कार्य को पंख नहीं लग रहा है। ऐसे में बरसात में उक्त पथ पर वाहनों के परिचालन बंद होने की समस्या उत्पन्न होने लगी है।
बाइपास निर्माण की योजना फाइलों में कैद
-नगर को जाम से मुक्ति दिलाने के लिये व्यवहार न्यायालय से पूरब कन्हाई इंटर विद्यालय तक बाईपास निर्माण की योजना वर्ष 2005 में बनी। हर बार निर्माण कार्य आरंभ कराने की घोषणा जिला प्रशासन द्वारा की जाती है,लोगों में उम्मीद की किरण फुटती है लेकिन चंद दिनों में ही मुरझा जाती है। वैसे इसके निर्माण से जमुई, वारिसलीगंज, पकरीबरावा व कौआकोल जाने के लिये नगर में वाहनों को जाम की समस्या का सामना नहीं करना पडे़गा। भूमि का चयन कर डीपीआर निर्माण कार्य तक संपन्न कराया जा चुका है। लेकिन अबतक इसकी निविदा का कार्य नहीं होने से मामला अधर में लटका है।
ककोलत पथ निर्माण कार्य का हुआ शुभारंभ
-जिले का कश्मीर माना जाने वाला ऐतिहासिक शीतल जलप्रपात तक पहुंचने के लिये थाली से ककोलत के लिये पथ निर्माण कार्य आरंभ हुआ, लेकिन कार्य की गति मंथर होने से फिलहाल इसका लाभ सैलानियों को नहीं मिल पा रहा है। वैसे पथ निर्माण के मामले में गोविन्दपुर सबसे पिछड़ा है तथा कई ऐसे गाव अब भी ऐसे हैं जहा अब भी सड़कें नहीं हैं। जिला मुख्यालय को जोड़ने वाली फतेहपुर-गोविन्दपुर व बरेव-गोविन्दपुर पथों का हाल बेहाल हैं। दोनों पथों के लिये निविदा हो चुकती है, एक में काम भी लगा लेकिन दूसरे का कोई अता पता नहीं है। बावजूद गोविन्दपुर की जनता उफ तक नहीं करती।
जाम तो नहीं बाइपास
-नवादा नगर के दक्षिण-पश्चिम तक बाइपास है जिससे झारखंड के साथ गया व राजगीर जाना आसान है। लेकिन इसकी त्रासदी यह है कि सद्भावना चौक पर यदि एक वाहन फंसा तो जाम लगना तय है। चौक पर जाम आम है। इसके पीछे मुख्य वजह वाहनों का वहा अवैध पड़ाव है। वाहनों के दबाव के कारण हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है। ऐसे में अगर बाइपास से गुजरना है तो यात्रा आरंभ करने से पहले यह पता करना आवश्यक होता है कि कहीं जाम तो नहीं है।
मरम्मति के अभाव में दम तोड़ रही सड़कें
-जिले में सड़कों का जाल तो बिछा लेकिन मरम्मति के अभाव में कई सड़कें दम तोड़ रही है। मरम्मति के लिये राशि उपलब्ध नहीं रहने के कारण ऐसा हो रहा हैं। इस प्रकार के कई पथ ऐसे हैं जिसकी मरम्मति की आवश्यकता है, लेकिन राशि के अभाव में मरम्मति नहीं होने से पथ दम तोड़ने लगा है।
लोगों की राय
-मंझवे-दर्शन भाया ककोलत पथ निर्माण जो न केवल प्रस्तावित है बल्कि निविदा हो भी चुकी हैं के निर्माण से न केवल मेसकौर, नरहट, अकबरपुर व गोविन्दपुर को जोड़ा जा सकेगा बल्कि देवघर व कोलकाता जाने वाले लोगों का रास्ता सुगम हो जाएगा। ककोलत शीतल जलप्रपात पर सैलानियों के आने से क्षेत्र की खुशहाली बढे़गी।
विजय कुमार यादव, पैक्स अध्यक्ष पाती, अकबरपुर, नवादा।
जीरो टालरेंस का अर्थ बेकार
-बाईपास निर्माण न होने से नगर में ध्वनि व वायु प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो रही है। आये दिन जाम आम हो गया है तो लोगों को पैदल चलना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में जीरो टालरेंस का काई अर्थ ही नहीं रह जाता।
विनोद कुमार भदानी, स्टेशन रोड, नवादा।
भ्रष्टाचार है पथ की दुर्दशा का कारण
-जबतक भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लगेगा पथ की स्थिति व गुणवत्ता में सुधार संभव नहीं है। वैसे भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगाकर सड़कों को टूटने से बचाया जा सकता है।
मरी नहीं है योजना
-नगर को जाम से मुक्ति दिलाने के लिये कलाली रोड खुरी नदी में पुल निर्माण कराया जा रहा है। इसके साथ ही व्यवहार न्यायालय से कन्हाई इंटर तक बाइपास की योजना मरी नहीं है। राशि उपलब्ध होते ही कार्य आरंभ कराया जाएगा।
इजहार रब्बानी, मुख्य पार्षद, नगर परिषद,नवादा।
कहा है गतिरोध
-निविदा के बावजूद कई पथों के निर्माण में अभिकर्ता बाधक बने हैं। अधिकारियों का दबाव भी नहीं है। समय पर कार्य पूरा हो नहीं हो पा रहा है। अधिकारियों के कारण गतिरोध बरकरार है। आवश्यकता है इसे देर करने तथा समय पर निर्माण कार्य आरंभ कराने की।
Courtesy: Jagran