व्यवसायिक खेती से आमदनी को पंख
1 min readडुमरांव (बक्सर) : मौसम के बार-बार दगाबाजी से आहत क्षेत्रीय किसानों ने धान, गेहूं फसलों की पारंपरिक खेती को छोड़ सब्जी की व्यावसायिक खेती के ओर उन्मुख हो रहे हैं। नया भोजपुर, पुराना भोजपुर, धरहरा, लेवाड़, छतनवार, नुआवं सहित दर्जनों गावों के किसान इस वर्ष बड़े पैमाने पर भिंडी, लौकी, नेनुआ, सतपुतिया सहित अन्य सब्जियों की खेती किये हैं।
वहीं, बेहतर मुनाफा होने से अब किसानों की दिलचस्पी सब्जी की खेती में बढ़ी है। यहा सब्जी के खेती ने समृद्धि के द्वार खोल दिये हैं। इसे देख आसपास के किसान भी नगदी फसलों की ओर उन्मुख हो रहे हैं। वशिष्ठ महतो, अरविन्द कुमार, बजड़ा कुशवाहा, हीरालाल सहित अन्य दर्जनों किसानों ने बताया कि बिना सरकारी मदद के अपने मेहनत से सब्जी फसलों का उत्पादन कर रहे हैं। हालांकि, किसानों को लागत खर्च के अनुसार अपेक्षित मुनाफा नहीं मिल पा रहा है। फिर भी एक एकड़ में चालीस हजार रूपये की बचत हो रही है। हालांकि, आमदनी और बढ़ सकती है।
प्रशिक्षण मिले तो लाभ ज्यादा
पर्याप्त प्रशिक्षण के अभाव में किसान खेती करते हैं और सस्ते मूल्य पर थोक विक्रेता इसका लाभ उठा ले रहे हैं। किसानों की माने तो बाजार में भिंडी का मूल्य 10 रूपया, लौकी 15 से 20 रूपया, नेनुआ 10 रूपया, सतपुतिया 20 रूपया, परवल 22 रूपया खुदरा में प्रतिकिलो बेच रहे हैं।
लाभ से बढ़ा उत्साह
किसानों का कहना है कि अधिक लाभ के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे है। प्रति एकड़ 80 से 85 हजार रूपया का बिक्री होती है। लगभग 40 हजार रूपया तक खेत की जाल से घेराबंदी, दवा, बीज, खाद, मजदूर, माल ढुलाई आदि में खर्च हो जाता है। फिर भी 40 हजार रूपये का शुद्ध मुनाफा होता है।
हाइब्रिड बीजों का कर रहे प्रयोग
किसान उन्नत किस्म के हाईब्रिड बीज के प्रजाति का प्रयोग कर रहे हैं। अधिक उत्पादन के लिए एक सप्ताह पर पटवन के पश्चात यूरिया, पोटास, डीएपी, जाईम सहित अन्य उर्वरक का प्रयोग होता है। साथ ही 15 दिन पर कीटनाशक का प्रयोग किया जाता है।
कहते है कृषि पदाधिकारी
प्रखंड कृषि पदाधिकारी मो.शौकत अली का कहना है कि किसानों को नगदी खेती के लिए प्रेरित किया गया है। यहा के किसानों को समय-समय पर कृषि वैज्ञानिकों से तकनीकी प्रशिक्षण दिलायी जाती है।
Courtesy: Jagran